Sarso farming सरसों की दो नई खास किस्में आरएच-1424 और आरएच-1706, किसानों के लिए बनी वरदान
आरएच-1424 और आरएच-1706 किस्में सरसों की खेती के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।
सरसों की दो नई खास किस्में आरएच-1424 और आरएच-1706, किसानों के लिए बनी वरदान
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के वैज्ञानिकों ने सरसों की दो उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू के किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं। ये किस्में बेहतर उत्पादकता और उच्च गुणवत्ता वाले तेल की विशेषताओं के साथ आई हैं, जिससे किसानों को न केवल अधिक उपज मिलेगी बल्कि उपभोक्ताओं को भी बेहतर स्वास्थ्यवर्धक तेल का लाभ प्राप्त होगा।
सरसों की आरएच-1424 और आरएच-1706 किस्में
आरएच-1424 और आरएच-1706 किस्में सरसों की खेती के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। इन दोनों किस्मों की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
आरएच-1424 की खासियत
आरएच-1424 किस्म को बारानी क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। इस किस्म में 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देखी गई है, जोकि पहले से प्रचलित आरएच-725 की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है। यह किस्म जल्दी पक जाती है और इसके बीजों में 40.5 प्रतिशत तक तेल की मात्रा होती है, जो इसे किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी बनाती है।
आरएच-1706 की खासियत
आरएच-1706 को विशेष रूप से सिंचित क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है। इसमें 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज होती है, और इसके बीजों में 38 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। इसके अलावा, इसमें 2 प्रतिशत से कम इरूसिक एसिड होता है, जिससे यह तेल स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और फायदेमंद होता है।
किन किसानों को मिलेगा फायदा?
आरएच-1424 और आरएच-1706 किस्मों का उपयोग हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू के किसान कर सकते हैं। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी हैं जहाँ बारानी और सिंचित दोनों तरह की खेती होती है।
उत्पादकता और तेल की गुणवत्ता में सुधार
कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज के अनुसार, इन किस्मों से हरियाणा और राजस्थान के सरसों उत्पादक किसानों को बड़ा लाभ होगा। बेहतर उपज और तेल की उच्च गुणवत्ता के कारण किसानों को आर्थिक रूप से लाभ होगा और उपभोक्ताओं को भी स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से फायदेमंद तेल मिलेगा।